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When Zee calls my father, the renowned poet Gauhar Raza, anti-national

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Sahir Raza
Sahir RazaMar 11, 2016 | 13:17

When Zee calls my father, the renowned poet Gauhar Raza, anti-national

It has been a long time since I have been pushed to go beyond just sharing a story. Then again when Zee News decides your father is anti-national, it becomes in every way possible a special occasion. It would be pointless to offer a defence of any sort, cause it is not required.

Instead I am sharing the poem. Please do read it and share it:‪

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#‎IStandWithGauharRaza‬

  • 'धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी
  • मसली कलियाँ, झुलसा गुलशन, ज़र्द ख़िज़ाँ दिखलाएगी
  • यूरोप जिस वहशत से अब भी सहमा सहमा रहता है
  • खतरा है वह वहशत मेरे मुल्क में आग लगायेगी
  • जर्मन गैसकदों से अबतक खून की बदबू आती है
  • अंधी वतन परस्ती हम को उस रस्ते ले जायेगी
  • अंधे कुएं में झूट की नाव तेज़ चली थी मान लिया
  • लेकिन बाहर रौशन दुनियां तुम से सच बुलवायेगी
  • नफ़रत में जो पले बढे हैं, नफ़रत में जो खेले हैं
  • नफ़रत देखो आगे आगे उनसे क्या करवायेगी
  • फनकारो से पूछ रहे हो क्यों लौटाए हैं सम्मान
  • पूछो, कितने चुप बैठे हैं, शर्म उन्हें कब आयेगी
  • यह मत खाओ, वह मत पहनो, इश्क़ तो बिलकुल करना मत
  • देश द्रोह की छाप तुम्हारे ऊपर भी लग जायेगी
  • यह मत भूलो अगली नस्लें रौशन शोला होती हैं
  • आग कुरेदोगे, चिंगारी दामन तक तो आएगी'
  • -गौहर रज़ा
    #IStandWithGauharRaza

(This post first appeared on the author's Facebook page.)

Last updated: March 11, 2016 | 13:21
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